बीजामृत विधि : फसल उत्पादन बढ़ाने का कारगर तरीका

Author - KisanKhabar   11 Mar 2025

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प्राकृतिक खेती में बीजामृत विधि 

खेती में अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि सही तकनीक भी जरूरी होती है। बीजामृत विधि ऐसी ही एक प्रभावी तकनीक है, जो प्राकृतिक खेती का अहम हिस्सा बन रही है। इस विधि से बीज की देखभाल करने पर फसल का उत्पादन बेहतर होता है। गुजरात के मेहसाणा जिले के किसान इस पद्धति को अपनाकर बंपर उत्पादन हासिल कर रहे हैं।

बीज की देखभाल क्यों जरूरी है?

खेती कोई आसान काम नहीं है। किसान को मौसम की चुनौतियों—गर्मी, बारिश और सर्दी—के बावजूद बुवाई करनी पड़ती है। लेकिन अगर बुवाई से पहले बीज की सही देखभाल न की जाए, तो अंकुरण कमजोर हो सकता है और फसल का उत्पादन कम हो सकता है। बीजामृत विधि से बीज का उपचार करने पर बीजों का अंकुरण तेज होता है और फसल मजबूत बनती है।

प्राकृतिक खेती, एक कारगर विकल्प

आज के समय में प्राकृतिक खेती पारंपरिक रसायन-आधारित खेती का एक बेहतरीन विकल्प बनती जा रही है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है। इस विधि के पांच मुख्य स्तंभ हैं:

  1. बीजामृत – बीज की देखभाल के लिए
  2. जीवामृत – मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए
  3. वाफ्सा – मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए
  4. आच्छादन – मिट्टी को ढंककर पोषक तत्वों की सुरक्षा के लिए
  5. मिश्रित खेती – फसलों की विविधता बनाए रखने के लिए

मेहसाणा के किसान अब इन तकनीकों को अपनाकर अपनी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को बढ़ा रहे हैं।

बीजामृत विधि, बुवाई से पहले बीज की तैयारी

बुवाई से पहले बीज को सही तरीके से तैयार करना बहुत जरूरी होता है। बीजामृत विधि प्राकृतिक रूप से बीजों को पोषण देने का काम करती है। इसका सबसे ज्यादा असर सब्जियों की खेती में देखा जाता है। बीजामृत से उपचारित बीज जल्दी अंकुरित होते हैं, मजबूत पौधे बनाते हैं और मिट्टी से होने वाले रोगों से सुरक्षित रहते हैं।

बीजामृत बनाने की सरल विधि

बीजामृत तैयार करना बेहद आसान है। इसके लिए निम्नलिखित चीजों की जरूरत होती है:

  • 4.5 किलो देसी गाय का गोबर
  • 4.5 लीटर गौमूत्र
  • 55 ग्राम भीगा हुआ चूना
  • 17 लीटर पानी
  • 1 मुट्ठी जीवित मिट्टी

बनाने की प्रक्रिया:

इन सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाकर लकड़ी से दिन में दो बार हिलाना चाहिए। 24 घंटे के अंदर यह मिश्रण तैयार हो जाता है, जिसे बीजामृत कहा जाता है। बुवाई से पहले बीज को इस घोल में भिगोने से उनका अंकुरण तेजी से होता है और वे ज्यादा मजबूत बनते हैं।

बीजामृत विधि प्राकृतिक खेती की एक अनोखी तकनीक है, जो किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है। यह न केवल फसल की पैदावार बढ़ाती है बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ बनाए रखती है। मेहसाणा के किसानों की सफलता से सीखते हुए, अगर अधिक किसान इस पद्धति को अपनाएं, तो खेती अधिक लाभदायक और टिकाऊ बन सकती है।

 

 

 

 

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