रामपुरा (जयपुर)। किसानो का नाम आते ही हम सभी के दिमाग में उसकी फटी एड़ियां और गड्डे में घुसी आखें दिखाई देतीं हैं। उसकी गरीबी की खबरें हम आये दिन खबरों में पढ़ते हैं, लेकिन कुछ ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने खेती करने के तरीके को बदल कर किसानों की परिभाषा ही बदल डाली है। इस तरह के किसान बहुत ही कम होते हैं जो इतना बड़ा मुकाम हांसिल कर पाएं।
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ऐसे ही एक किसान हैं राजस्थान के जिन्होंने अपनी जिंदगी को बदल कर रख दिया। राजस्थान के जयपुर जिले के रामपुरा गांव में रहने वाले रमेश चौधरी एक किसान हैं। करीब ढाई एकड़ में बना घर किसी मल्टीनेशनल कंपनी के दफ्तर जैसा लगता है। रमेश चौधरी के चारों भाइयों के साथ उनके सयुक्त परिवार में 30 लोग हैं।
हर सुबह चार बजे उठकर भैसों को चारा पानी देने के साथ ही अपने खेतों को निकल जाने वाले रमेश चौधरी को महंगी गाड़ियों का भी काफी शौक है। उनके पैलेसनुमा घर में अगर एक तरफ गाय और भैंस बंधी होती है तो वहीँ दूसरी तरफ मर्सिडीज और फार्चूनर जैसी कारें खड़ी रहतीं हैं।
” हमारे पास करीब 300 बीघा जमीन है जिसमें हम हर तरह की खेती करते हैं। एक साथ कई फसलें बोते हैं ताकि अगर किसी एक फसल में नुकसान होता है, तो दूसरी फसल में उसकी भरपाई हो जाती है,” रमेश चौधरी ने बताया,” कि हम ज्यादातर जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं, उसमें कम लागत में अच्छी पैदावार हो जाती है।
रमेश चौधरी के पूरे परिवार के सभी लोगों का खाना एक साथ बनता है, और खाने का मीनू उनकी माँ ही निर्धारित करतीं हैं। और सभी को वहीं पर खाना लेकर खाना होता है।
“हम चारों भाइयों के काम अलग-अलग बंटे हुए हैं, शाम को बड़े भाई साहब रोज अगले दिन के लिए कामकाज के बारे में बैठक करते हैं उसके बाद हम सभी लोग अगले दिन अपने-अपने कामकाज में लग जाते हैं।” उन्नत शील किसान रमेश चौधरी ने बताया, कि किसानों को अच्छी उपज और मुनाफे के लिए सलाह देते हुए रमेश चौधरी आगे कहते हैं,” कि
आज हमारे पास जो भी है वह खेती की वजह से ही है। हम किसी की उम्मींदों के पीछे नहीं जाते हैं, किसान अगर चाहे तो उसे मुनाफा मिलता है, लेकिन ऐसे में फसल की देखरेख करना बहुत जरुरी होता है,
रमेश चौधरी ने आगे कहा,” कि हम दिन में क़रीब 14 घंटे खेतों में ही गुजारते हैं। फसल को तीन बार देखना चाहिए, सुबह, दोपहर और शाम। इसमें फसल के तीनों रूप आपको देखने को मिलते हैं।
रमेश अपनी बात जारी रखते हुए कहते हैं कि हम पानी को अधिक से अधिक बचाने के साथ-साथ एक ही फसल को हर मौसम में करने की कोशिश करते हैं, सर्दी के मौसम में लौकी की खेती करते हैं, तो बारिश में भी लौकी की ही खेती करते हैं। बारिश में जाल लगाकर लौकी की खेती करते हैं इस प्रकार लौकी की खेती करने से उसका तना नहीं सड़ता है, गंदगी भी नहीं रहती है।
रमेश चौधरी ने सर्दी में टमाटर की फसल करने के साथ-साथ, गर्मियों के लिए नर्सरी की तैयारियां भी शुरू कर दीं।